राम नाम सत्य है !तुमने लोगों को मुर्दे कि अरथी ले जाते हुऐ सुना होगा ! किसे सुना रहे हैं, मुर्दे को ? जो बेचारा कल तक सत्य था, जो अब नहीं है ! और अगर तुम भूल से भी ज़िंदा आदमी से कह दो, तो वह नाराज हो जाता है ! कहता है अभी तो मैं ज़िंदा सत्य तो ज़िंदा रह के ही जाना जा सकता है, मरने के बाद नहीं !राम नाम सत्य है !

ओशो के विचार




दुख और सुख ।

लोग अपने दुख की चर्चा करते है सुखों की नही करते सहानुभूति पाने के लिए करते हैं इसलिए दुखो का परदर्शन मत करो । इसके बारे में सिर्फ में लिखो जो इस बात को अच्छा कहे 

यह सत्य है कि लोग अक्सर अपने दुखों की चर्चा करने के लिए अधिक प्रवृत्त होते हैं, क्योंकि वे सहानुभूति और समझ के लिए इसे करते हैं। हालांकि, सुख भी अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण भाग होता है और उसे भी स्वीकारना चाहिए।

जब हम खुश होते हैं तो हमें अपने सुख का परदर्शन करना चाहिए, क्योंकि यह दूसरों को प्रेरित करता है और उन्हें भी खुशी का एहसास देता है। इसलिए, हमें अपने सुख का समान रूप से मानना चाहिए जैसे हम अपने दुख का परदर्शन करते हैं।

इसके अलावा, हमें अपने दुख का परदर्शन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह दूसरों को उनकी समस्याओं के समाधान के बजाय उनके साथ समस्याओं को साझा करता है। हमें अपने दुख को साझा करने की बजाय उनकी समस्याओं का हल निकालने के लिए उन्हें समर्थन और सहायता देनी चाहिए।

इसलिए, हमें सुख और दुख दोनों को स्वीकार करना चाहिए और दूसरों के साथ उनकी समस्याओं को हल निकालने में सहायता करना चाहिए।




हाँ, राम नाम सत्य है यह हिंदू धर्म का एक मंत्र है जो अनेक लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र शांति और आंतरिक स्थिरता के लिए उपयोगी होता है।

हालांकि,  बात सही है कि मुर्दे इसे सुन नहीं सकते क्योंकि वे मृत्यु हो चुके होते हैं। इसी तरह, सत्य जीवित व्यक्ति के लिए होता है जो जीवन के दौरान सत्य का पालन करता है।

इसलिए, हमें जीवित रहते हुए अपने आचरण और वचनों पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम सत्य का पालन कर सकें और अपने जीवन में शांति और स्थिरता प्राप्त कर सकें।



 ओशो 
भगवान रजनीश
#osho 


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